पगडंडियों पर साथ चलते चलते
जाने अनजाने सैकड़ों चोट दिये मैंने.
क्षोभित शोकित होकर भी तेरा साथ होना
यकीं सबसे बड़ा वरदान है मेरा.
POEM
अधूरे सपने, अधूरे हम
सपनों के शहर में तेरे साथ चल रहा मैं,
मन में एक खौफ, कहीं खो न जाऊं मैं।
तू मेरा साथी, मेरा सहारा, मेरा सपना,
फिर क्यों मन में ये खौफ, ये डर का साया?
क्या सभी ऐसा ही महसूस करते है या केवल मैं
मेरी बेबाकी कहाँ गुम है?
समय गुजरा लेकिन मै नहीं
मुझे लगता ही नहीं कि मुझमे बदलाव है
मेरा मन तो अभी भी वहीँ छोटा सा बालकपन महसूस करता है
क्या सभी ऐसा ही महसूस करते है या केवल मैं