पगडंडियों पर साथ चलते चलते
जाने अनजाने सैकड़ों चोट दिये मैंने.
क्षोभित शोकित होकर भी तेरा साथ होना
यकीं सबसे बड़ा वरदान है मेरा.
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अधूरे सपने, अधूरे हम
सपनों के शहर में तेरे साथ चल रहा मैं,
मन में एक खौफ, कहीं खो न जाऊं मैं।
तू मेरा साथी, मेरा सहारा, मेरा सपना,
फिर क्यों मन में ये खौफ, ये डर का साया?
किसी क्रिया की प्रतिक्रिया सच में होती है क्या?
बड़े भैया का खौफ चलता था. हमने रामगढ़ के गब्बर डाकू को तो नहीं देखा था, लेकिन बड़े भैया का खौफ हम भाई बहनों के जेहन में रामगढ़ के गाँव के लोगों के मन में बसे गब्बर डाकू के खौफ से ज्यादा था|
क्या सभी ऐसा ही महसूस करते है या केवल मैं
मेरी बेबाकी कहाँ गुम है?
समय गुजरा लेकिन मै नहीं
मुझे लगता ही नहीं कि मुझमे बदलाव है
मेरा मन तो अभी भी वहीँ छोटा सा बालकपन महसूस करता है
क्या सभी ऐसा ही महसूस करते है या केवल मैं