साथ चलते हम,
मन की बातें होती बेबाक हमदम.
फुर्सत से, नज़रों में नज़रें भले न मिलती,
मिलती, दिलों की धड़कनें एक सी धुन में.
हम किस बंधन में बंधते आगे बढ़ रहे
कभी भूलकर भी सोचा हो, याद नहीं
दोस्ती और प्यार जैसे शब्दों का जिक्र भले न हो
हर पल साथ तुम्हारे, गुजारना चाहता है मन.
पगडंडियों पर साथ चलते चलते
जाने अनजाने सैकड़ों चोट दिये मैंने.
क्षोभित शोकित होकर भी तेरा साथ होना
यकीं सबसे बड़ा वरदान है मेरा.
संकरे रास्ते और गहरी खाइयां
धूप ही नहीं आंधी और तूफ़ान भी.
मैं जानता हूँ कि तुझे मेरी बड़ी परवाह हो रही
तेरे साथ होने से, मुझे उनका तनिक डर नहीं
शब्दों से परे कुछ कहना चाहता मन,
भावनाओं को वादों में समेटना, मंजूर नहीं
तुम्हारी हर बात, मेरे दिल में बसती है
मूक शब्दों का तुझ तक पहुंचना कठिन तो नहीं
वफ़ा-प्यार की दुनिया लोगों को ही समर्पित हो,
हमारी दुनिया का नाम हमें तो पता नहीं.
जिसमें निस्वार्थ तुम्हे पाने की चाहत है,
और हर पल तुम्हारे साथ रहने की आस भी.
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